Shiv Mahimna Stotra pdf महाकवि पुष्पदन्त द्वारा रचित भगवान शिव का यह स्तोत्र हिन्दू धर्म में पूजनीय एवं लोकप्रिय है। 43 छंदो के इस स्तोत्र में भोलेनाथ के विशेष गुणों, शक्तियों एवं अनंत महिमा का गुणगान किया है।
हमारे महादेवं बहुत ही ज्यादा दयालु है सिर्फ फूल, फल एवं जल अर्पित करने से ही भक्त जनो की मनोकामनाएं पूरी कर देते है, आप भी शिव जी को प्रसन्न करना चाहते है, तो पूजा के बाद Shiv Mahimna Stotra pdf का पाठ करे। जिससे आपको सभी प्रकार के संसार के सुखो की प्राप्ति होगी।
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Shiv Mahimna Stotra pdf
महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी, स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः।
अथाऽवाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन्, ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः॥
अतीतः पंथानं तव च महिमा वाङ्मनसयोः, अतद्व्यावृत्त्या यं चकितमभिधत्ते श्रुतिरपि।
स कस्य स्तोतव्यः कथमिव हि लोकत्रयमुखैः, सपर्याऽमूर्तस्त्वं ह्यपि यदस्मत्कृतमिव॥
मधुस्फीता वाचः परमममृतं निर्मितवतः, तव ब्रह्मन् किं वागपि सुरगुरोर्विस्मयपदम्।
मम त्वेतां वाणीं गुणकथनपुण्येन भवतः, पुनामीत्यर्थेऽस्मिन् पुरमथन बुद्धिर्व्यवसिता॥
तवैश्वर्यं यत्तज्जगदुदयरक्षाप्रलयकृत्, त्रयीवस्तु व्यस्तं तिस्रुषु गुणभिन्नासु तनुषु।
अभव्यानामस्मिन् वरद रमणीयामरमणीं, विहन्तुं व्याक्रोशीं विदधत इहैके जडधियः॥
कियद्वा या त्वत्तोऽप्यनुसरणीयामरवण, भवतां त्रैलोक्यं सकलमविमुक्तं तव शिवे।
जनेषु विघ्नानां प्रकटितविधेयेन भवतः, पुरारीकर्त्रे त्रिभुवनदुरंधरकृते॥
अभिन्ने यास्वल्पे चिदणुभवशक्तिर्नविणिता, प्रजायन्ते सत्यं तव हि कियदज्ञः परमसुखम्।
न यत्स्वे सामर्थ्ये जगति जगदुद्भूतमिह किं, कुतश्चिद्व्याप्त्याऽथ परमिति विभूतिस्तव विभो॥
अतस्त्वां पर्यन्तं परमभवदं सर्वमखिलं, त्वमेवेशो गच्छन्ननुभवति सद्भावमपरम्।
स्वसिद्ध्याऽमूलस्मिन्परिवृतिनिमित्तं हर महा, न यावत्सर्वज्ञः शिव शिव शिवायास्तु महिमा॥
कुवलयधारः कुन्देन्दु द्युतिनखपंक्तिस्रगथिनी, चकारास्त्री लोकं तपति तपनीयाङ्गलतिका।
त्वदीयामेवेयं विमलमणिवर्णप्रसृतयः, स्फुरन्त्या रश्म्याऽथ जगति जगदन्यं गतवतः॥
अशेषं व्याक्रोशन्नखिलमखिलाऽर्थान्धनायते, तव धर्मज्ञाः कीर्तिं कलितमखिलं राधयत वे।
न वाचां सर्वस्वं वसति किमु वृण्मन्तु धिषणाः, किमाकृष्यध्वन्तं विषमिव तमीं पौरुषमथ॥
नमः समस्तभूताय देवाय शिवसंविदे, निलयायाऽऽत्मलिङ्गाय साक्षिणे परमात्मने॥
ध्यानमंत्र:
ध्यायन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं,
रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानम्,
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ कैसे करें
शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ करने के लिए कोई विशेष विधि की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यदि आप अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित में दी गई जानकारी का पालन कर सकते हैं.
- स्वच्छ स्थान पर बैठें: पाठ करने से पहले स्वच्छ स्थान पर बैठें और अपने मन को शांत करें।
- भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें: यदि संभव हो तो भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर पाठ करें।
- आस्था और श्रद्धा के साथ पाठ करें: शिव महिम्न स्तोत्र का पाठ आस्था और श्रद्धा के साथ करें।
- ध्यान और योग के साथ पाठ करें: पाठ के बाद कुछ समय ध्यान में बिताएं और योग साधना करें।
शिव महिम्न स्तोत्र की संरचना
शिव महिम्न स्तोत्र 43 श्लोकों से मिलकर बना है, जिनमें सिर्फ भगवान शिव की महिमा का विशद वर्णन किया गया है। हर श्लोक में भगवान शिव के एक विशेष गुण का जिक्रकिया गया है। इन श्लोकों का पाठ करते समय आपकोभगवान शिव के समर्पण और आस्था के साथ उनका स्मरण करना है।
इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए किसी विशेष विधि या समय की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन प्रातःकाल या संध्याकाल में इसका पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही, इसका पाठ ध्यान और योग साधना के साथ करने से शरीर के रोगो से मुक्ति एवं आत्म शक्ति की बढ़ोतरी होती है।
शिव महिम्न स्तोत्र का महत्व
शिव महिम्न स्तोत्र का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि साहित्यिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी है। यह स्तोत्र न केवल शिव भक्तों के लिए बल्कि उन सभी के लिए महत्वपूर्ण है जो दिव्य शक्ति को गहराई से जानना चाहते है।
भक्तो द्वारा शिव महिम्न स्तोत्र के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसका पाठ करने से व्यक्ति को अद्भुत फल प्राप्त होते हैं। इसे नियमित रूप से पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, साथ ही यह आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को भी प्राप्त करता है।
FAQ :-
शिव महिम्न स्तोत्र किसकी रचना है?
शिव महिम्न स्तोत्र की रचना दिव्य संगीतकार महाकवि पुष्पदंत ने की है। पुराणों के अनुसार, पुष्पदंत भगवान शिव के परम भक्त और गंधर्व थे। उन्होंने भगवान शिव की महानता के बारे में भजन करके इन स्तोत्र की रचना की
शिव का कौन सा मंत्र रोग दूर करता है?
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र को रोगों के निवारण के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से किसी भी प्रकार के रोग से मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव किसका नाम जपते हैं?
धार्मिक कथाओं और पुराणों के अनुसार भगवान शिव ‘राम ‘ नाम का जप करते हैं, क्योकि भगवान शिव, श्रीराम जी के सबसे बड़े भक्त हैं।