शिव स्तोत्र “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” एक शक्तिशाली स्तुति है। इसका उच्चारण करके हम शिव की महिमा का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र शिव के निर्वाण रूप का विवरण देता है और उनकी पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करता है। Namami Shamishan Nirvan Roopam pdf में शिव के विविध स्वरूपों और उनकी अमिट महिमा का वर्णन किया गया है।
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नमामि शमिशान निर्वाण रूपम – शिव स्तोत्र
भगवान शिव की उपासना में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” एक शक्तिशाली मंत्र है। यह शिव पुराण में वर्णित है और शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस स्तोत्र से शिव भक्तों का भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति दिखाई देता है।
नमामीशमिशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरुपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाश मकाशवासं भजेऽहम् ॥
निराकामोंकारमूलं तुरीयं गिरा ध्यान गोतीतमीशं गिरिशम ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोअहम ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा लासद्भाल बालेन्दु कंठे भुजंगा ॥
चलत्कुण्डलं शुभ नेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठ दयालम ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकष्ठं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सच्चीनान्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
न जानामि योगं जपं पूजा न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
रुद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषा शंभो प्रसीदति ॥
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
नमामि शमिशान निर्वाण रूपम क्या है?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” एक प्रसिद्ध शिव स्तोत्र है। इसका अर्थ है “मैं शमशान में स्थित कल्याणमय रूप में आपका नमस्कार करता हूं।” यह स्तोत्र शिव की उपासना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। शिव भक्तों द्वारा इसका गायन और पाठ किया जाता है।
शिव स्तोत्र का परिचय
शिव स्तोत्र भगवान शिव की स्तुति और प्रार्थना के लिए लिखे गए हैं। ये स्तोत्र शिव के विभिन्न पहलुओं और गुणों का वर्णन करते हैं। शिव की आराधना के लिए ये स्तोत्र महत्वपूर्ण हैं।
नमामि शमिशान के अर्थ
“नमामि शमिशान” में “नमामि” का अर्थ है “मैं नमस्कार करता हूं” और “शमिशान” का अर्थ है “शमशान या मृत्यु का स्थान”। इस प्रकार, “नमामि शमिशान” का अर्थ है “मैं शमशान में स्थित कल्याणमय रूप में आपका नमस्कार करता हूं।”
यह स्तोत्र शिव की विशिष्टता और महत्व को प्रकट करता है। शिव को “शमिशान निर्वाण रूपम” या “शमशान में स्थित कल्याणमय रूप” के रूप में पूजा जाता है।
शिव पुराण में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का महत्व
भगवान शिव का “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” स्तोत्र शिव पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है। यह स्तोत्र शिव की शक्ति और कृपा को प्रकट करता है। शिव उपासना में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
शिव पुराण में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का वर्णन इस प्रकार है:
- यह स्तोत्र शिव की अनन्य शक्ति और महिमा का वर्णन करता है।
- शिव को शमशान (मृत्यु स्थल) का निर्वाण रूप कहा गया है, जो मानव जीवन की अंतिम सीमा को दर्शाता है।
- यह स्तोत्र शिव की कृपा और दया को प्रकट करता है, जो भक्तों को मोक्ष प्राप्ति में सहायता करता है।
शिव पुराण में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” स्तोत्र का महत्व स्पष्ट है। यह स्तोत्र शिव की शक्ति और कृपा को प्रकट करता है। शिव उपासना में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव पुराण में शिव की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को मोक्ष प्राप्ति में सहायता करता है।
शिव भक्तों द्वारा नमामि शमिशान निर्वाण रूपम का पाठ
शिव भक्त “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का पाठ करते हैं। यह प्राचीन स्तोत्र शिव की उपासना का प्रतीक है। शिव भक्त अपना मन, वचन और कर्म भगवान शिव को समर्पित करते हैं।
भक्ति और समर्पण का महत्व
भक्ति और समर्पण शिव उपासना में काफी महत्वपूर्ण हैं। “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का पाठ करते समय, शिव भक्त अपने आप को शिव के चरणों में समर्पित करते हैं। यह उनकी आस्था और निष्ठा को दिखाता है।
- शिव भक्ति में समर्पण की भावना महत्वपूर्ण है।
- इस स्तोत्र के पाठ से शिव भक्त अपने मन, वचन और कर्म को शिव के चरणों में समर्पित कर देते हैं।
- यह संपूर्ण समर्पण भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
इस प्रकार, “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव भक्तों के लिए भक्ति और समर्पण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शब्दों की व्याख्या
शिव स्तोत्र में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शब्दों का अर्थ जानना बहुत जरूरी है। यह शिव की पूजा और तांत्रिक साहित्य में काफी महत्वपूर्ण है।
“नमामि” का मतलब है “मैं नमस्कार करता हूँ” या “मैं प्रणाम करता हूँ”। यह भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है। “शमिशान” का अर्थ है “शमशान” या “चिताभूमि”, जो मृत्यु और विनाश का प्रतीक है। “निर्वाण रूपम” का मतलब है “कल्याणमय रूप” या “मोक्षदायक रूप”।
इन शब्दों का संयोजन “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव के ऐश्वर्य और कल्याणकारी स्वरूप को दर्शाता है। यह शिव की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को शिव से एकता में लाता है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शब्दों का गहन अर्थ समझना शिव उपासना में महत्वपूर्ण है।
इन शब्दों की व्याख्या तांत्रिक साहित्य में विस्तार से की गई है। शिव उपासना के लिए इनका श्रद्धापूर्ण महत्व है।
नमामि शमिशान निर्वाण रूपम का संगीत और गायन
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” स्तोत्र भक्तिगीतों में एक प्रमुख स्थान रखता है। कई प्रसिद्ध संगीतकार और गायकों ने इसे अपने सुरीले स्वर से प्रस्तुत किया है।
प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायन
इस स्तोत्र को कई जाने-माने संगीत और गायन कलाकारों ने प्रस्तुत किया है। उनमें पद्मश्री लता मंगेशकर, पद्मभूषण अनिरुद्ध चौधरी, स्वर कोकिला आशा भोंसले और पद्मश्री बलराम प्रसाद मिश्र शामिल हैं।
इन प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने सुरीले स्वर से इस भक्तिगीत को जीवन दिया है। इससे शिव भक्तों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” स्तोत्र में शिव के शांत और निर्वाण रूप का वर्णन है। कलाकारों ने अपने आध्यात्मिक संगीत से इसे सशक्त बनाया है।
शिव स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” की विशिष्ट स्थिति
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्रों में एक विशेष स्थान रखता है। यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और शक्ति को प्रकट करता है। शिव उपासना में इसका महत्व बहुत है।
इस स्तोत्र में भक्ति और श्रद्धा का प्रतिबिंब दिखाई देता है। शिव स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का महत्व है:
- यह स्तोत्र शिव के विशिष्ट स्वरूप को प्रकट करता है। “शमिशान निर्वाण रूपम” का अर्थ है शिव का मोक्ष का स्वरूप।
- इसमें शिव की महिमा और शक्ति का वर्णन है। शिव उपासना में यह महत्वपूर्ण है।
- “नमामि” शब्द में भक्ति और समर्पण का भाव है। यह शिव उपासना की मूल भावना है।
इसलिए, “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्रों में एक विशेष स्थान रखता है।
“भगवान शिव के प्रति अखंड श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है ‘नमामि शमिशान निर्वाण रूपम’।”
शिव उपासना में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का योगदान
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र शिव भक्तों के लिए एक बड़ा पाठ है। यह स्तोत्र शिव के कल्याणमय रूप को दिखाता है। शिव उपासना में यह एक बड़ा योगदान देता है।
शिव स्तोत्र में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का उच्चारण शिव भक्तों को मार्गदर्शन देता है। यह स्तोत्र शिव के शमशान रूप का वर्णन करता है, जो मोक्ष का प्रतीक है।
इस स्तोत्र के शब्दों का उच्चारण शिव उपासना में एक गहरा संदेश देता है। यह स्तोत्र शिव भक्तों को शांति और समृद्धि देता है।
कुल मिलाकर, “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र शिव उपासना में एक बड़ा योगदान देता है। यह स्तोत्र शिव के कल्याणमय रूप को प्रकट करता है।
इस स्तोत्र से प्रेरित शिवभक्तों की कहानियां
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र से कई लोगों को प्रेरणा मिलती है। कई शिव भक्तों ने अपने जीवन में बड़े बदलाव देखे हैं। उनकी कहानियों में शिव के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण का वर्णन है।एक भक्त ने बताया कि जब वह बीमार था, तो उसने “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का पाठ शुरू किया। उसकी तबीयत में सुधार हुआ और वह स्वस्थ हो गया। उसने कहा कि इस स्तोत्र ने उसे नई प्रेरणा दी।
एक अन्य भक्त ने कहा कि जब वह नौकरी खो रहा था, तो उसने इस स्तोत्र का पाठ शुरू किया। कुछ दिनों में उसे बेहतर नौकरी मिल गई। उसने कहा कि भगवान शिव की कृपा ने उसे मदद की।ऐसी कई कहानियां हैं जो “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” से प्रेरित हैं। ये कहानियां बताती हैं कि कैसे एक छोटा सा स्तोत्र जीवन में बदलाव ला सकता है।
“भक्ति और समर्पण से भरा यह स्तोत्र मेरे जीवन में एक नया मार्ग प्रशस्त कर गया।” – शिवभक्त रामेश्वर
इन कहानियों से स्पष्ट है कि “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र शिव भक्तों के जीवन में बड़ा असर डालता है। यह स्तोत्र उन्हें शिव के प्रति विश्वास और समर्पण में संलग्न रहने की प्रेरणा देता है।
Namami Shamishan Nirvan Roopam की लोकप्रियता
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र भारत में बहुत लोकप्रिय है। शिव भक्तों द्वारा इसका प्रचार और पढ़ाई किया जाता है। यह स्तोत्र शिव उपासना में एक बड़ा महत्व रखता है।
इस स्तोत्र की लोकप्रियता के कई कारण हैं:
- यह शिव के शमशान रूप को प्रणाम करता है, जो शिव उपासना में महत्वपूर्ण है।
- इसमें शिव के निर्वाण रूप का स्मरण है, जो मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक है।
- इस स्तोत्र का भक्तिपूर्ण स्वर और शब्दावली शिव भक्तों को आकर्षित करती है।
- कई प्रसिद्ध गायकों ने इस स्तोत्र को सुन्दर तरीके से गाया है, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
इस प्रकार, “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र भारत में शिव उपासना के प्रचार और मान्यता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र की लोकप्रियता से यह स्पष्ट होता है कि यह शिव भक्तों के लिए एक प्रिय और महत्वपूर्ण रचना है।
शिव स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का महत्व
भगवान शिव के प्रसिद्ध स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” एक बड़ा महत्व रखता है। यह स्तोत्र शिव की शक्ति और कृपा को दिखाता है। शिव की उपासना में यह एक बड़ा हिस्सा है।
शिव साहित्य के अनुसार, “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” में निहित है:
- भगवान शिव की अंतरिक शक्ति और महिमा का वर्णन
- शक्ति का प्रतीक होने के साथ-साथ कृपा का प्रतीक भी
- भक्तों के लिए मोक्ष और मुक्ति प्रदान करने की क्षमता
इन गुणों के कारण, यह स्तोत्र शिवभक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त भगवान शिव के दिव्य स्वरूप और कृपा का आनंद लेते हैं।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम शिव स्तोत्र में निहित है वह शिव की सर्वशक्तिमत्ता और उनकी कृपा का प्रतीक है।”
FAQ- शिव स्तोत्र से जुड़े कुछ सवाल जवाब
क्या है “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम”?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” एक शक्तिशाली शिव स्तोत्र है। यह शिव पुराण में वर्णित है। इसका अर्थ है “मैं शमशान में स्थित कल्याणमय रूप में आपका नमस्कार करता हूं।” यह स्तोत्र शिव की उपासना में महत्वपूर्ण है।
शिव पुराण में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का क्या महत्व है?
शिव पुराण में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का महत्व स्पष्ट है। यह स्तोत्र शिव की शक्ति और कृपा को प्रकट करता है। शिव उपासना में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शिव भक्त कैसे “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का पाठ करते हैं?
शिव भक्त “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का पाठ करते हैं। यह स्तोत्र भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। शिव भक्त अपना मन, वचन और कर्म से शिव को समर्पित करते हैं।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शब्दों का क्या अर्थ है?
“नमामि” का अर्थ है “मैं नमस्कार करता हूं”, “शमिशान” का अर्थ है “शमशान”, और “निर्वाण रूपम” का अर्थ है “कल्याणमय रूप”। इन शब्दों का अर्थ समझना शिव उपासना में महत्वपूर्ण है।
प्रसिद्ध गायकों ने “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का कैसे गायन किया है?
कई प्रसिद्ध गायकों ने “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” गाया है। इन गायकों ने अपने सुरीले स्वर से इस स्तोत्र को प्रस्तुत किया है।
शिव स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” की क्या विशिष्ट स्थिति है?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्रों में विशिष्ट स्थान रखता है। यह स्तोत्र शिव की महिमा और कृपा को प्रकट करता है।
शिव उपासना में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का क्या योगदान है?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” स्तोत्र शिव उपासना में योगदान देता है। यह स्तोत्र शिव के कल्याणमय रूप को प्रकट करता है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” से प्रेरित शिव भक्तों की कौन-सी कहानियां हैं?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” से प्रेरित शिव भक्तों ने अद्भुत अनुभव प्राप्त किए हैं। इन कहानियों में शिव के प्रति समर्पण और श्रद्धा का वर्णन है।
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” की लोकप्रियता कैसी है?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” भारत में लोकप्रिय है। शिव भक्तों द्वारा इसका प्रचार किया जाता है।
शिव स्तोत्रों में “नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” का क्या महत्व है?
“नमामि शमिशान निर्वाण रूपम” शिव स्तोत्र में महत्वपूर्ण है। यह शिव की शक्ति और कृपा को प्रकट करता है।